हिंदुस्तान की कविता – चमका दो हिंदुस्तान को | Hindustan Ki Kavita
आप पढ़ रहे हैं हिंदुस्तान की कविता हिंदुस्तान की कविता नहला अरि की रक्त धारचमका दो हिंदुस्तान को,मान बढा़ने वीरों कामिटवा दो आतंकिस्तान को। वंदेमातरम वंदेमातरम…….वंदेमातरम वंदेमातरम……. देख सपूतों की कुर्बानीआज तिरंगा झुका पडा़,खेल सियासी देख-देख केहर सेनानी रूका पडा़,पश्चिम की सीमा पे देखोशैतानों के ठाठ है,रोता आँसू खून के…