हिंदी कविता – हताशा | है हताशा है निराशा जीवन मेरा अभिशाप है
आप पढ़ रहे हैं हिंदी कविता - हताशा हिंदी कविता - हताशा है हताशा है निराशा जीवन मेरा अभिशाप है, पाप पुण्य में फंसा जीवन ही तो पाप है। कर्म धर्म की धरा ये मायावी वसुंधरा, अखंड काल का कराल वैभव विशाल है भरा। भय नहीं है मौत से क्षय…