Bachpan Par Kavita – आप पढ़ रहे हैं कवि सदानन्द प्रसाद जी की द्वारा रचित बचपन पर कविता ” बचपन का वो क्षण-क्षण ” :-
Bachpan Par Kavita
बचपन का वो क्षण-क्षण,
मेरा मन करता था टन-टन,
याद आया गांव का कण-कण,
आज खुश नहीं है तन-मन।
खेलते थे संग वो दिन सखा,
सोचकर मेरा मन ठनका,
चला गया कहां वो दिन सुनहरा,
लौटकर नहीं आया दुबारा।
भुला नहीं बचपन का गाँव,
थी गरमी में पेड़ों की छांव,
मैं दौड़ता था गांव में खाली पांव,
वर्षा में चले कागज की नाव।
शहर में है यहां बड़ा कहर,
कहीं नहीं है आहर-पोखर,
सब पूछ रहे हैं बस घर की खबर,
व्यवहार में हैं सब दीगर।
मेरा कहां खो गया बचपन,
ना मिलता कहीं अपनापन,
अपना कर दिया बचपन दफन,
कह रहा है मुझ से गगन।
रहता हूँ मैं खुश यादकर,
रखता हूं वो पल सहेजकर,
देखता हूँ कभी दिवास्वप्न,
मेरा वापस आ गया बचपन।
पढ़िए :- बचपन की यादों पर कविता ” भूल नहीं सकते हैं हम “
रचनाकार का परिचय
यह कविता हमें भेजी है सदानन्द प्रसाद जी ने संग्रामपुर,लखीसराय ( बिहार ) से। इनकी शिक्षा स्नातक,डिप. इन.फार्मेसी है। ये योग प्रशिक्षित हैं व भारतीय खाद्य निगम सेवा से निवृत्त हैं। साथ ही बिहार राज्य उपभोक्ता सहकारी संघ,लि., पटना में निदेशक भी रहे हैं।
प्रारंभ से ही समाज सेवा में इनकी अभिरुचि रही है व समाजवादी विचार धारा रही है। कर्पूरी टाइम्स एवं निरोग संवाद पत्रिका का संपादन कार्य भी इन्होंने किया है। विज्ञान का छात्र होने के बावजूद बचपन से ही हिंदी लेखन-पाठन में अभिरुचि रही है।
सामाजिक ,सांस्कृतिक, प्राकृतिक एवं ग्रामीण पृष्ठभूमि पर इनकी काव्य रचनायें हैं। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन से जुड़ा हैं और हिंदी काव्य गोष्ठी में भाग लेते हैं।
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