हिंदी प्याला के हिंदी कविता संग्रह में पढ़िए :-
माँ पर कविताएं , प्रकृति पर कविताएं , शिक्षक दिवस पर कविताएं , माँ पर कविता हिंदी में , गुरु पर कविताएं , पेड़ पर कविताएं , नारी पर कविताएं , महिलाओं पर कविताएं , पानी पर कविताएं , बादल पर कविताएं , बहन पर कविता इन हिंदी , पर्यावरण पर कविता इन हिंदी , सैनिक पर कविता इन हिंदी 15 अगस्त पर कविताएं , अनुशासन पर कविताएं , खुशी पर कविताएं , गांधी पर कविताएं , गरीबी पर कविताएं , घड़ी पर कविताएं , चाँद पर कविताएं , जिंदगी पर कविताएं , जन्मदिन पर कविताएं , जल पर कविताएं , देशभक्ति पर कविताएं , नदी पर कविताएं , भारत पर कविताएं , रक्षाबंधन पर कविताएं , रिश्तों पर कविताएं , शहीदों पर कविताएं , शिक्षा पर कविताएं , स्वच्छता पर कविताएं , गुरु पर कविता हिंदी में , वसंत पर कविता हिंदी में , पर्यावरण पर कविता हिंदी में , राम पर कविताएं

Naye Saal Par Kavita | नए साल पर कविता – आया पावन सवेरा

Naye Saal Par Kavita - आप पढ़ रहे हैं नए साल पर कविता :- Naye Saal Par Kavitaनए साल पर कविता नये साल का आया पावन सवेरापावन पवित्र कर दे मन तेरा मेरा। फूलों सा कलियों सा मन मुस्करायेंभौंरों के गीतों सा हम गुनगुनायेंधरती गगन गूंजें चिड़ियों का कलरवआओ मन…

Continue ReadingNaye Saal Par Kavita | नए साल पर कविता – आया पावन सवेरा

मन की व्यथा पर कविता | माता-पिता की वेदना पर लिखी कविता

मन की व्यथा पर कविता - आप पढ़ रहे हैं Man Ki Vyatha Par Kavita :- Man Ki Vyatha Par Kavitaमन की व्यथा पर कविता छुपाता रहूं कब तलक मन की पीड़ासुलगते सुलगते जलाता है तन को। समझा था जीवन की ज्योति सा बनकर,बनेगा सहारा बुढ़ापा तिमिर में।कट जाएगा अवशेष जीवन कठिन पलपलकों का सपना सजाया था दिल में । कहूं दोष खुद का या कोसूं मुकद्दर,बना आज जीवन कुम्हलाता नीरज ।दीपक समझकर संभाला था जिसको,जलाया मुझे बन दुपहरी का सूरज। बताऊं कैसे व्यथा अपने मन की ,बिठाऊं कहां से कहां अपनेपन को ।छुपाता रहूं कब तलक मन की पीड़ासुलगते सुलगते जलाता है तन को । कर त्याग केंचुल सा जननी की ममता,गया बन निर्मम किस सपने में खोये ।न बन बेखबर हो सजग मेरे प्यारे,गया टूट बन्धन तो फिर जुड़ न पाये । किया क्या न पूजा दुआ तेरे खातिर,कर दी आहूति खुद के सपने सजोये ।बस तू ही था सच्चे सपने निराले,हम रखे सदा तुझको दिल से लगाये । सदा सोचता कि भूल जाऊं किये को,भीगी आंख से देखता हूं गगन को ।छुपाता रहूं कब तलक मन की पीड़ासुलगते सुलगते जलाता है तन को ।  अभिशाप बन न तू इकलौता औलाद,क्यों बन गया है तु हत्यारा जल्लाद।खुद सोंच गया छोड़ यदि तेरी दुनिया,पायेगा फिर न पिताजी का आह्लाद।। मैं देखा करतातेरा राह पल पल,हुआ शाम कब आयेगा नेत्र-तारा ।तनहा ठगा साहो जाता बेगाना,तु था मेरी दुनिया, प्यारा, दुलारा । मिलने को तुमसे तरसता हूं मैं अब ,बैठ पास ले रोक दिल के ज़लन को ।छुपाता रहूं कब तलक मन की पीड़ासुलगते सुलगते जलाता है तन को । मां, बोलो कम आप खुद को संभालों सिवाय आपके कौन सहारा मेरा ।दिल को पत्थर बना समझो मैं बांझ थी,खाके दो जून रोटी रहें हम पड़ा । न सताओ कभी आपने मां बाप को,धर के मंदिर में बैठे भगवान है ।कर लो तीरथ बरतसब जगह घूम कर,सबसे पावन ही इनके चरण धाम है जीना है जीवन यह अंतिम घड़ी तक,बिसारा भले है पर देगा कफन तो ।भुलाते रहो तब तलक मन की पीड़ा,जब तक न जाते हैं दूसरे वतन को। जब गैर होते हैं अपनों से बढ़करहम इसकेहैं अपने पराये नहीं हैभले छोड़ कर वह रहे दूर हमसेहम उसके बिना रह पाये नहीं है। बने वह हमारे लिए नागफनी साहमें तुलसी बनके रहना पड़ेगाछोटी सी जीवन बड़ी हो चली हैमिला गर है जीवन तो जीना पड़ेगा। बेटी गर होती तो वह चाह करतीजी आज करता है तुमसे मिलन को छुपाता रहूं कब तलक मन की पीड़ासुलगते सुलगते जलाता है तन को। इतना भला क्या कि रखा है घर मेंनही भेज देता किसी आश्रम मेंदेखा है बहुतो के लाशों का सिदृदतलाशों के उपर से बिकते कफ़न को छुपाता रहूं कब तलक मन की पीड़ासुलगते सुलगते जलाता है तन को। पढ़िए…

Continue Readingमन की व्यथा पर कविता | माता-पिता की वेदना पर लिखी कविता

कविता थकान का पसीना | Kavita Thakaan Ka Paseena

कविता थकान का पसीना - आप पढ़ रहे हैं Kavita Thakaan Ka Paseena :- Kavita Thakaan Ka Paseenaकविता थकान का पसीना मोती सा मस्तक पर झिलमिललुढ़क रहा धीरे धीरेझर झर झरता पग तल रज में ,जाता चूम चरण तेरे, इस मोती में भाग्य झलकतातेरा जी हो लेकर चल,तन मन का यह…

Continue Readingकविता थकान का पसीना | Kavita Thakaan Ka Paseena

कविता विदाई और स्वागत | नाव वर्ष के आगमन को समर्पित कविता

आप पढ़ रहे हैं कविता विदाई और स्वागत :- कविता विदाई और स्वागत ढलती शाम और डूबता सूरज..रात्रि के दरवाजे परआखिरी दस्तक दे..रहे हैं। सूर्य का ताप.. जैसे.. अंँधेरी रात नेलील लिया हो। हर लिया होबीते साल की बाधाओं नेजैसे..सारा तेज.. । लबालब भरी सजल आंँखें..तकती हैं..बीते साल डूबे ..सभी…

Continue Readingकविता विदाई और स्वागत | नाव वर्ष के आगमन को समर्पित कविता

Zindagi Kavita In Hindi | जिंदगी पर कविता

Zindagi Kavita In Hindi - आप पढ़ रहे हैं जिंदगी पर कविता Zindagi Kavita In Hindiजिंदगी पर कविता ईश्वर द्वारा बख्शीश,सांसों का नाम है जिंदगी।मन में ना हो गंदगी,जिंदादिल हो जिंदगी। सर ऊंचा रहे हमेशा,ऐसी जियो जिंदगी।कभी सर नीचा ना हो,झेलनी ना पड़े शर्मिदंगी। बात का सच्चा,लंगोट का पक्का।काम करो…

Continue ReadingZindagi Kavita In Hindi | जिंदगी पर कविता

सफर पर कविता | Safar Poem In Hindi

सफर पर कविता - आप पढ़ रहे हैं Safar Poem In Hindi :- Safar Poem In Hindiसफर पर कविता जिंदगी का सफ़र,सकून से है जीना।खुशी व गम आते है,सबको है पीना। जिंदगी है ईश्वर की अमानत,कहां व कब हो जाए खत्म।मिलन सार रहो सबसे,मत देओ किसी को सितम। जिंदगी के…

Continue Readingसफर पर कविता | Safar Poem In Hindi

Pyar Par Kavita | प्यार पर कविता

Pyar Par Kavita - आप पढ़ रहे हैं प्यार पर कविता :- Pyar Par Kavitaप्यार पर कविता एक बात कहूँ ये प्यार न करना,धोखा है ये कभी इकरार न करना ।भौंरा करता है फूल से प्यार,बाद में पड़ता है उसको मरना।अनमोल समय बर्बाद न करना,एक बात कहूँ ये प्यार न…

Continue ReadingPyar Par Kavita | प्यार पर कविता

Hindi Kavita Gulshan | हिंदी कविता गुलशन

Hindi Kavita Gulshan - आप पढ़ रहे हैं हिंदी कविता गुलशन :- Hindi Kavita Gulshanहिंदी कविता गुलशन गुलशन में खिलाऐ,दो फूल अच्छे-अच्छे। करे उनकी अच्छी परवरिश,चाहे बच्ची हो या बच्चे। पढ़ा लिखा कर उनको,बनाए समझदार शिक्षित।  उनको अपने आचरण से,दे संस्कार करे दीक्षित। बन समाज के वे अंग,अंतिम व्यक्ति के…

Continue ReadingHindi Kavita Gulshan | हिंदी कविता गुलशन

विद्यार्थी जीवन पर कविता | Vidyarthi Jivan Par Kavita

विद्यार्थी जीवन पर कविता - आप पढ़ रहे हैं ( Vidyarthi Jivan Par Kavita ) विद्यार्थी जीवन पर कविता :- विद्यार्थी जीवन पर कविताVidyarthi Jivan Par Kavita खेल खेल में शिक्षा हो परशिक्षा को खेल समझ बैठे,अब राजनीति के मंचों परतित्तिल सा खूब उलझ बैठे। न इन्हें पड़ा तेरे रोजी…

Continue Readingविद्यार्थी जीवन पर कविता | Vidyarthi Jivan Par Kavita

Pandit Jawaharlal Nehru Kavita | पंडित जवाहरलाल नेहरू कविता

Pandit Jawaharlal Nehru Kavita - आप पढ़ रहे हैं पंडित जवाहरलाल नेहरू कविता :- Pandit Jawaharlal Nehru Kavitaपंडित जवाहरलाल नेहरू कविता चौदह नवम्बर 1889 को,जन्मे थे चाचा नेहरू।बच्चों के बहुत प्रिय थे,कहते थे चाचा नेहरू। अपने जन्म दिन को,नाम दिया बाल दिवस।इस दिन मस्ती करते बच्चे,नहीं रहते मायूस व विवश।…

Continue ReadingPandit Jawaharlal Nehru Kavita | पंडित जवाहरलाल नेहरू कविता

Krishna Kavita In Hindi | हो मेरे घनश्याम तुम्हीं

Krishna Kavita In Hindi - आप पढ़ रहे हैं हिंदी कविता हो मेरे घनश्याम तुम्हीं :- Krishna Kavita In Hindiहो मेरे घनश्याम तुम्हीं वही सुबह की रश्मि हैसुरमई है शाम वही।।हूँ मैं तेरी राधा जैसी।हो मेरे घनश्याम तुम्हीं।। जनम जनम पुजुँ मैं तुमको।।प्रेम मिलन आसान नहीं।।मैंने बस तुमको पूजा है।हो…

Continue ReadingKrishna Kavita In Hindi | हो मेरे घनश्याम तुम्हीं

Kavita Par Kavita | कविता पर कविता | Hindi Poem On Kavita

Kavita Par Kavita - आप पढ़ रहे हैं कविता पर कविता ( Kavita Par Kavita ) :- Kavita Par Kavitaकविता पर कविता भावों की तरंगिणी में नहाती है "कविता"ह्रदय की गहराई को छुकर आती है "कविता" उन्मुक्त हवा सी,विचार गगन मेंमुझे उड़ा ले जाती है "कविता" भाषा,लय,तुकबंद मणियों सेअपनी थाल…

Continue ReadingKavita Par Kavita | कविता पर कविता | Hindi Poem On Kavita