हिंदी प्याला के हिंदी कविता संग्रह में पढ़िए :-
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हिंदी कविता कुछ कह रहा हूँ | Hindi Kavita Kah Raha Hu

हिंदी कविता कुछ कह रहा हूँ कुछ कह रहा हूँ, दिलरूबा! तू बातें सुन मेरी महबूबा!! सारे अरमान दफन हो गए हैं! सारे संबंध दफन हो गए हैं!! तुमसे संबंध सारे टूट गए! क्यों तुम मुझसे रूठ गए!! दिल के पिंजरे में जैसे तू परिन्दा है! अभी मुझमें तू जिन्दा…

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हिंदी कविता क्या लिखूं क्या छोड़ दूँ | Hindi Kavita Kya Likhu

  हिंदी कविता क्या लिखूं क्या छोड़ दूँ शूल सा चुभता हर पल नित् कैसे वो वेदना तोड़ दू, ख्वाहिश हुई इसे लिखने की,पर क्या लिखूं क्या छोड़ दूं। कुछ वर्ष बीते है संगम धरा पर जो लग रहा है युगों समान, अन्न ग्रासन भी इस देवधरा का लग रहा…

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देश के जवान पर कविता :- निज देश प्रेम भाता है

आप पढ़ रहे हैं ( Desh Ke Jawan Par Kavita ) देश के जवान पर कविता " निज देश प्रेम भाता है " :- देश के जवान पर कविता छोड़कर घर का सुख, जो सीमा पे जाता है। दुश्मन की छातियों पे, तिरंगा गाड़ आता है। नहीं है मोह जीवन…

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तुम याद बहुत आती हो कविता | Yaad Bahut Aati Ho Kavita

तुम याद बहुत आती हो कविता हम क्या सोचते है और क्या होता है ना जाने ये दिल क्यों रोता है, नजरों से तुम सब कुछ कह जाती हो , तुम याद बहुत आती हो। तेरे बिन हर पल बुरा लगता है, तेरा चेहरा सामने हो तो मन पराग सा…

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हिंदी कविता काफिला | Hindi Kavita Kafila

हिंदी कविता काफिला चलो थोड़ा दूर चलें फासले तय करें इस सड़क को नाप लें, लंबा सा दिखता यह रास्ता साथ में बिताते चलें, कुछ तुम अपनी कहो कुछ हम अपनी बताते चलें। कहीं थक हार के बैठ जाओ तो पीछे नहीं बस आगे ही देखना, अपने सपने को दोबारा…

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हिंदी कविता यूँ राहों में | Hindi Kavita Yun Rahon Me

हिंदी कविता यूँ राहों में तेरी जुल्फों की घनेरी छाँवों में रात भर रहा तेरी बाहों में, निकल के चाँद छिप गया चेहरा नजर आया यूँ राहों में। फितरत तेरी कुछ इस तरह की अदाओं से राज करती है, तेरे जगने से दिन निकलता है झुके पलकें तो रात ढ़लती…

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रामधारी सिंह दिनकर पर कविता :- दिनकर की चमक

रामधारी सिंह दिनकर पर कविता पश्चिम में छिपता दिनेश जो,उदित होता फिर नित्य नभ में। है चकित क्षितिज भी देख,दिनकर की चमक सतत जग में। प्रखर अग्नि सा तेज भरा, वीररस के ओजस्वी राष्ट्रकवि। भानु रश्मि सम तीव्र वेग सी, थी उनकी लेखनी की गति। रेणुका,कुरुक्षेत्र,उर्वशी एवं, सूरज का ब्याह…

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मानव जीवन पर कविता | Manav Jivan Kavita | Beautiful Poem On Human In Hindi

Poem On Human In Hindi | आप पढ़ रहे हैं मानव जीवन पर कविता :- मानव जीवन पर कविता एक दिन जब एकांत मेंदेखा स्वयं को करीब से ।आईना बोला जीवन मिलामानव तुझको बड़े नसीब से ।। तू माटी का वह पुतला हैजो चट्टानों को देता हिला ।मोड़कर सरिता की धार कोरेगिस्तान में पुष्प…

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माँ की याद में कविता | Maa Ki Yaad Me Kavita

माँ की याद में कविता मां यदि तुम होती,, सारे सपने मेरे होते. इन सपनों का मै होता घर का आंगन.. घर में झूला, इन झूलों पर मैं होता। मां यदि तुम होती,, सारे सपने मेरे होते.. ना होती कोई कविता, कहानी, ना रोता जैसे रोता हूं, तेरे बिन ना…

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कोरोना पर दो कविताएं :- कोरोना को हराना है और हमसे तुम डरो ना

कोरोना पर दो कविताएं कोरोना को हराना है हर घर में यहीं नारा है, कोरोना को हराना है। इसने कैसा चक्कर चलाया, बड़े बड़ों को घर में बैठाया, अब इसको भी भागना है, फिर से घूमने जाना है। थाली से सब्जी गायब , मुंह से पान और मावा गायब, महंगा…

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ग़ज़ल न तुम ही मिलोगे | Ghazal Naa Tum Hi Miloge

ग़ज़ल न तुम ही मिलोगे न तुम ही मिलोगे न हम ही मिलेंगे। फ़क़त सोज़-ए-हिज्रां में जलते रहेंगे। निभा दोनों लेंगे यूँ अपनी वफ़ा को अगर जी न पाए यक़ीनन मरेंगे। ज़माने के डर से बहुत खींची रेखा कभी ना कभी फ़ासले तो मिटेंगे। वो युग था पुराना ख़तों का…

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हिंदी कविता स्वप्न | बेटी का बाप | Kavita Beti Ka Baap

हिंदी कविता स्वप्न | बेटी का बाप वो दरवाजे पे खड़ी मुस्कुरा रही थी चिड़ियों को देख खिलखिला रही थी, तभी मां ने पीछे से उसको गोद में उठाया और वह जोर से चिल्लाई "पापा ओ पापा" "देखो ना! माँ मुझे खेलने नहीं दे रही" और अचानक से मेरी नींद…

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