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Children’s Day Poem In Hindi
बाल दिवस पर कविता

Children's Day Poem In Hindi

नन्हे-नन्हे बच्चों की;
दुनिया में खो जाए,
हम भी अपने बचपन की;
तस्वीरें आज बनाये।

ललना पलने में झूल रहे;
माँ की ममता उसे संवारे,
आंखों में मोटा सा काजर;
सुंदर सी टिक्की लिलारे।

होश संभाला उससे पहले;
सुंदर बाल-गोपाल सा,
मिट्टी में सना शरीर;
अपना यह संसार था।

नटखट छोटे नवाब;
घर के आंगन में बड़े हुए,
धूम-धड़ाका, शोर-शराबा,
घर पूरा शिरोधार किये।

माँ-बाप, दादा और दादी;
लेते खूब बलाई थे,
आस-पड़ोस, नाते-रिश्ते में;
प्यारे कृष्ण कन्हाई थे।

पाठशाला जब शुरू हुआ फिर;
नन्हा बचपन, नसमझपन,
रोते, रूठे, गाल फुलाते;
कक्षा में, पर घर में मन।

छुट्टी की घंटी हर दिन की;
रणविजय की गूँज समान,
सारे चित्र फिर वैसे बन जाते;
जब आ जाता नया विहान।

रंग बिरंगा बचपन हमारा;
आज याद जब आती है,
हरे-भरे फूलों की बगिया;
हमें एहसास कराती है।

आओ फिर से हम अपने;
बचपन की तस्वीर सजाये,
हम अधेड़ बूढ़े हो जाए;
पर मन बचपना रह जाए।

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रचनाकार का परिचय

डा. संदीप पाण्डेय

नाम: डा. संदीप पाण्डेय
निवास:
रीवा, मध्यप्रदेश
शिक्षा: एम. एस. सी (वनस्पति शास्त्र) , पी.एच.डी, पी. जी. डी. सी. ए.
पद: व्याख्याता, वनस्पति विज्ञान अध्ययन केन्द्र,
अ. प्र. सि. विश्वविद्यालय, रीवा, मध्यप्रदेश.

रुचियां: समाज सेवा, पठन- पाठन, काव्य लेखन, एकांकी, नाटक. आकाशवाणी एवं दूरदर्शन भोपाल, शहडोल, रीवा से विभिन्न समसामयिक विषयों पर वार्ताओं का प्रसारण
प्रकाशन: काव्य संग्रह “हरियाली की ओर” (प्रेस मे)

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