Gulzar Two Line Shayari In Hindi – सम्पूर्ण सिंह कालरा जो पूरी दुनिया में ग़ुलज़ार नाम से प्रसिद्ध हिंदी फिल्मों एक प्रसिद्ध गीतकार हैं। इसके साथ ही वे एक कवि, पटकथा लेखक, फ़िल्म निर्देशक नाटककार तथा प्रसिद्ध शायर हैं। उनका जन्म 18 अगस्त 1934 को पंजाब के दीना नमक गाँव में हुआ था। यह गाँव इस समय पाकिस्तान के पंजाब में हैं। उनकी रचनाओं और साहित्य के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरुस्कारों से नवाज़ा जा चुका है। आज हम लेकर आये हैं उसी महान व्यक्तित्व के लिखे हुए हमारी पसंद के 20 शेर ( Gulzar Two Line Shayari ) ” गुलजार की दो लाइन शायरी ” शायरी संग्रह में :-
Gulzar Two Line Shayari
गुलजार की दो लाइन शायरी
1.
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा,
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा।
2.
शाम से आँख में नमी सी है ,
आज फिर आप की कमी सी है।
3.
कोई ख़ामोश ज़ख़्म लगती है,
ज़िंदगी एक नज़्म लगती है।
4.
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
आदत इस की भी आदमी सी है।
5.
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते,
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते।
6.
चूल्हे नहीं जलाए कि बस्ती ही जल गई,
कुछ रोज़ हो गए हैं अब उठता नहीं धुआँ।
7.
सहमा सहमा डरा सा रहता है,
जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है।
8.
चंद उम्मीदें निचोड़ी थीं तो आहें टपकीं,
दिल को पिघलाएँ तो हो सकता है साँसें निकलें।
9.
वो उम्र कम कर रहा था मेरी,
मैं साल अपने बढ़ा रहा था।
10.
दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई,
जैसे एहसाँ उतारता है कोई।
11.
आप ने औरों से कहा सब कुछ,
हम से भी कुछ कभी कहीं कहते।
12.
उसी का ईमाँ बदल गया है,
कभी जो मेरा ख़ुदा रहा था।
13.
कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था,
आज की दास्ताँ हमारी है।
14.
दर्द हल्का है साँस भारी है,
जिए जाने की रस्म जारी है।
15.
एक पल देख लूँ तो उठता हूँ,
जल गया घर ज़रा सा रहता है।
16.
तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं,
सज़ाएँ भेज दो हम ने ख़ताएँ भेजी हैं।
17.
जा के कोहसार से सर मारो कि आवाज़ तो हो,
ख़स्ता दीवारों से माथा नहीं फोड़ा करते।
18.
हम इस मोड़ से उठ कर अगले मोड़ चले,
उन को शायद उम्र लगेगी आने में।
19.
चूल्हे नहीं जलाए कि बस्ती ही जल गई,
कुछ रोज़ हो गए हैं अब उठता नहीं धुआँ।
20.
बूढ़ी पगडंडी शहर तक आ कर,
अपने बेटे तलाश करती है।
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