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हिंदी होली गीत
सब हित मीत हमजोली हो
प्यार इश्क़ की बोली हो
ग़र मिल जाये भूलें भटकें
तब समझों पर्व ये होली हो
उसे हर रंग गुलाल अबीर हो
सब अल्हड़ मस्त फ़क़ीर हो
हर गम से दूर , कबीर हो
ख़ुशियों से भरा हर झोली हो
तब समझों पर्व ये होली हो
जब मिटें आग विद्वेष हो
जग लागे अपना देश हो
हर मूरत कान्हा का भेष हो
मचलता गोपियों की टोली हो
तब समझों पर्व ये होली हो
जब जग में कोई भी भूखा ना
और खाये कोई भी रूखा ना
कोई भी किसी से रूठा ना
जब सबकी आँख मिचोली हो
तब समझों पर्व ये होली हो
जब बहें प्यार की गंगा हो
सब तन मन से तो चंगा हो
और कहीं कोई ना दंगा हो
मिट जायें बम बारूद गोली हो
तब समझों पर्व ये होली हो ।।
पढ़िए :- होली पर कविता ” ये रंगों की होली ” | Holi Par Hindi Kavita
रचनाकार का परिचय
यह कविता हमें भेजी है बिमल तिवारी “आत्मबोध” जी ने जिला देवरिया, उत्तर प्रदेश से। बिमल जी लेखक और कवि है। जिनकी यह पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है :- 1. लोकतंत्र की हार 2. मनमर्ज़ियाँ 3. मनमौजियाँ ।
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