आप पढ़ रहे हैं ( Hindi Kavita Abhilashsa ) हिंदी कविता अभिलाषा
हिंदी कविता अभिलाषा
तू मेरे तन की तनया है।
तेरे रोम-रोम मे खुशबू है मेरी।
तू तनय से भी तेज तर्रार है।
पर समाज मे तेरे मान की रार है।
अब तू बदल,बदला है समय।
समय के साथ तू भी हो निर्भय।
तुझे हर प्रण, प्रतिज्ञा को
जिद और हठ से पूरी करनी है।
मत गिरने देना, आत्मविश्वास को।
कदम-कदम पर मेरा साथ रहेगा तेरे विश्वास को।
तुझे हर भूमिका में,बेटी,बहु व माता की।
हटाना है सामाजिक बेड़ियों की बाधा को।
आ पकड़ ले,हाथ रब का कसकर।
कितने ही झंझावात आऐ,तेरे सामने भंयकर।
पर हमेशा डटी रहना,बांधे सिर पर सेरा
सबका जर्रा जर्रा कह उठे,वाह वाह तेरा सेरा।
घर, सुसराल सब में तनया तेरा ही हो बासा
ऐसी मेरी तन मन की अभिलाषा।
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