आप पढ़ रहे हैं हिंदी कविता अजनबी बनकर :-
हिंदी कविता अजनबी बनकर
अजनबी बनकर ही सही कुछ देर ठहर जाते
होठ ख़ामोश ही सही ख़ामोश रहकर ही कुछ कह जाते ।
दिल को मिली काश ए हंसी सौगात होती
तुम कुछ देर और ठहर जाते तो कुछ और बात होती ।
बरसती बारिश की बूंदों संग महकती खुशबू गुलाब की होती ।
तुम कुछ देर और ठहर ….
अधर जब कुछ कह नहीं पाते
तो आंखो से सही मगर कुछ बात तो होती ।
तुम कुछ देर और ठहर जाते तो कुछ और बात होती ।
तुम हो मुसाफिर अगर हम मान लेते तो
आंखो से आंसू की ये बरसात न होती ।
तुम कुछ देर और ठहर ….
चाहतों का अपना अलग ही अंदाज है
वर्ना गम व खुशियों से भरी ये जिन्दगी इतनी बिंदास न होती ।
मिलाकर यूं कदम से कदम जो न हटाते
तो मेरी भी आंखो में कुछ और बात होती ।
तुम कुछ देर और ठहर जाते तो कुछ और बात होती ।
- पढ़िए :- हिंदी कविता दिल की आरजू
रचनाकार कर परिचय :-
नाम – अवस्थी कल्पना
पता – इंद्रलोक हाइड्रिल कॉलोनी , कृष्णा नगर , लखनऊ
शिक्षा – एम. ए . बीएड . एम. एड
“ हिंदी कविता अजनबी बनकर ” ( Hindi Kavita Ajnabi Bankar ) के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।
यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।
हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।
धन्यवाद।
Bahot hi achhi kavita. bhawnao ki kya sundar abhiwayakti hai. saandaar keep it up. http://www.hindifeeds.com
Ashrafji apka bahut bahut dhanyawad ji
Asharaf ji apka bahut bahut dhanyawad
Dhanyawaad ji