हिंदी कविता अल्हड़ जवानी
जीवन की भी है,अलग ही व्यथा।
बचपन, जवानी, वृद्धा अवस्था।
निकला बचपन खेलने कूदने में।
नित नए रोज सपने बुनने में।
फिर हुए किशोर,आ गई अल्हड़ जवानी।
जोश खरोश से, बात- बात में करते नादानी।
जवानी का नशा,ऐसा मतवाला।
नहीं कोई मेरा जैसा, दिलवाला।
नहीं समझा किसी को अपना।
मैं और मेरा जीवन ही सपना।
जवानी के झाग उतरने मे देर न लगी।
पता ही नही चला,कब आई और गई।
अब जिम्मेदारियों ने आकर घेरा।
निकल गया समय अब किया हेरा।
अब पछताएं रात और दिन।
रहने लगा हर समय गमगीन।
जिंदगी का पाठ पढ़ा गई, अल्हड़ जवानी।
जोश मे कभी मत खोवो होश, बता गई जवानी।
समय बड़ा बलवान है।
जीवन है अनमोल।
हंसराज “हंस”कहता छोड़, अब अल्हड़ जवानी का नशा।
अभी भी समय है,मेहनत से कमा पैसा।
पढ़िए :- समय पर कविता “समय आएगा”
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