हिंदी कविता गीत पटल के गाऊंगा
नाम पटल के सारा जीवन
इक दिन मैं कर जाऊंगा,
जब तक साँस चलेगी मेरी
गीत पटल के गाऊंगा।
फीकी फीकी सी लगती है
चेहरे की लाली मेरी,
धुंधलाया है दिन दिन में भी
रातें बन गयी काली मेरी,
कैसी है तकदीर ये मेरी
खुशियों का कोई शोर नहीं,
मेरी हथेली में देखो अब
जीवन रेखा की डोर नहीं,
खो दूँगा अस्तित्व फ़क़त
बस यादों में रह जाऊंगा।
जब तक साँस चलेगी मेरी
गीत पटल के गाऊंगा।
पटल तुम्हारा घर हरदम
नव कवियों से आबाद रहे,
कशिश कलम की झुके नहीं
ऐसा सबपे आशीर्वाद रहे,
चाहे जीवन हो अंधकारमय
चाहे ना साँसों का तार रहे,
सारे गीत रचूंगा तुम पर
ताकी तुमको याद रहे,
बैठ तुम्हारे मंच पे इकदिन
इन गीतों को दोहराउंगा।
जब तक साँस चलेगी मेरी
गीत पटल के गाऊंगा।
अधरों की मुस्कान के संग मैं
रचनाओं का हार भी लूं,
हो विदाई जिस दिन मेरी
दुल्हन – सा श्रृंगार भी लूं,
सब ने भेंट किये है मुझको
उन लफ्जों का आभार भी लूं,
जाऊं जिस दिन इस जग से मैं
कवियों का प्यार दुलार भी लूं,
ओस की बूंदो के माफीक मैं
पत्तों में खो जाऊंगा।
जब तक साँस चलेगी मेरी
गीत पटल के गाऊंगा।
हुआ पटल से प्रकाशमान तो
तम ने नाता तोड़ लिया,
दिव्य ज्ञान की छाया से अज्ञानी
परछाई ने मुँह मोड़ लिया,
मत पूछो ये भ्रम का फफोला
फूटा है या खुद फोड़ लिया,
पटल से जन्मों जन्मों का
रिश्ता अब मैनें जोड़ लिया,
बनके स्याही पटल के पन्नों पे
इक दिन बह जाऊंगा।
जब तक साँस चलेगी मेरी
गीत पटल के गाऊंगा।
पढ़िए :- पटल को समर्पित कविता “पटल के मन को भाया”
“ कविता गीत पटल के गाऊंगा ” ( Kavita Geet Patal Ke ) के बारे में अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे रचनाकार का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।
यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी बेहतरीन रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।
धन्यवाद।
Leave a Reply