बचपन के दिन ऐसे दिन होते हैं जिसके लौट आने की तमन्ना तो सभी करते हैं लेकिन वो दिन लौट कर कहाँ आते हैं। आइये पढ़ते हैं ऐसी ही बचपन को याद करवाती हिंदी कविता मेरा बचपन :-
हिंदी कविता मेरा बचपन
कितना प्यारा था मेरा बचपन?
ना कोई गिला, न कोई शिकवा।
सब लगते थे अपने प्रियजन।
सबसे सुनहरा पल है जीवन में बचपन।
ना कोई चिंता, ना कोई होड़।
दोस्तों के संग खूब समय बिताते।
केवल खेल खिलौने ही भाते।
क्या मजे थे गुल्ली डंडे में?
सुबह से शाम तक खेलते।
टोली के संग में।
कंचों से खेलना, साइकिल की कैची बनाना।
आज भी याद आ ही जाता है।
निशाना लगाकर ठहाका लगाना।
ना कोई अपना था, ना कोई पराया था।
ऊंच नीच, छुआछूत का ज्ञान नही था।
ना कोई जिम्मेदारी, ना कोई मोहमाया।
बस मस्ती के दिन थे, बेफिक्री का साया।
बचपन के खेल खूब याद आते।
कितना प्यारा था मेरा बचपन?
चलो ढूंढ कर लाते है मेरा बचपन।
फिर से अपना प्यारा बचपन।

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धन्यवाद।
बहुत ही सुंदर रचना हैं सर