आज के ज़माने में पैसा ही सबका भगवान है। पैसों के लिए इन्सान अपना ईमान तक बेच चुका है। इसी विषय पर आधारित है हिंदी कविता पैसों का गुलाम

हिंदी कविता पैसों का गुलाम

हिंदी कविता पैसों का गुलाम

बात करते हैं चाँद तारों की
आज वह लालच का गुलाम हो गया।।
जानता है कि सत्य है ,
जाना नहीं है कुछ साथ
फिर भी वह चन्द पैसों का गुलाम हो गया।।

आज वह सफलता मान बैठा
कागज के चन्द टुकड़ों को ,
जिसे कमाया दूसरों की ,
आह को ताक में रखकर,
आज वह उस झूठ का गुलाम हो गया।।

ज्ञान ,धर्म ,परोपकार
ही जाना है साथ
फिर भी वह अधर्म का गुलाम हो गया।।

सत्य है यह धरती हमारी नहीं ,
किसी और की अमानत है
फिर भी वह कुछ गजों का गुलाम हो गया।।

ध्यान रखो ,जब जाओगे
क्या बोलोगे उस मशीहा से
तुम्हारी पाप की इस दौलत को ,
वह कुछ मोल नहीं देगा
प्यार ,नेकी ,परोपकार
ही मोल है उसके मायने में।।
सत्य जानकर भी मानव
झूठे अहम् का गुलाम हो गया ….

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रचनाकार का परिचय

प्रभात पांडे

नाम : प्रभात पांडे
पिता का नाम : श्री शिव कुमार पांडे
पता : 121 बौद्ध नगर नौबस्ता कानपुर
व्यवसाय : विभागाध्यक्ष कंप्यूटर विभाग सेन डिग्री कॉलेज कानपुर

आपकी रचनाएं व लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं पर प्रकाशित होते रहते हैं।

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धन्यवाद।

This Post Has One Comment

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    Rajni Gupta

    Bahut hi badiya poem, insaan ne kya taak pe rakha aur jaisi gulami me wo jee raha hai accha warnan kiya hai

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