आप पढ़ रहे हैं ( Poem On Lord Rama In Hindi ) भगवान राम पर कविता ” श्रीराम कहलाते “
भगवान राम पर कविता
पितु आज्ञा को कर्म मानकर, जो वनवास हैं जाते।
हर पशु-पक्षी और जीव को, अपने हृदय में बसाते।
संताप लाख सहकर जीवन में, सदा प्रसन्न रहे जो,
बस वही हैं जो इस जग में हमारे, श्रीराम कहलाते।
त्याग राज के सब सुख किन्तु न, तोड़े रिश्ते-नाते।
भ्रात लखन और मात सिया संग, जो हैं वन को जाते।
लेष मात्र भी दुःख हुवा न,जिसे माता के वचनों का,
बस वही हैं जो इस जग में हमारे, श्रीराम कहलाते।
लेख लिखा भाग्य में ही ऐसा, कह सबको बहलाते।
छल किया कैकई ने जिसको, माता अपनी बतलाते।
सत्य,धर्म,मर्यादा को निज, प्राणों से बढ़कर रखते,
बस वही हैं जो इस जग में हमारे, श्रीराम कहलाते।
वन में रहकर घास-फूंस और कंद मूल फल खाते।
इक पाषाण को चरण धूलि से जो हैं नार बनाते।
बचन बद्धता,आदर्शों का,दम्भ नहीं जो रखते,
बस वही हैं जो इस जग में हमारे,श्रीराम कहलाते।
निश्छल प्रेम देख भरत का,उनको फिर समझाते।
अनुज भरत को कर आदेशित,धर्म का पाठ पढ़ाते।
जिया मर्यादित जींवन जिसने,कुल को श्रेष्ठ बनाया,
बस वही हैं जो इस जग में हमारे,श्रीराम कहलाते।
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मेरा नाम हरीश चमोली है और मैं उत्तराखंड के टेहरी गढ़वाल जिले का रहें वाला एक छोटा सा कवि ह्रदयी व्यक्ति हूँ। बचपन से ही मुझे लिखने का शौक है और मैं अपनी सकारात्मक सोच से देश, समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जीवन के किसी पड़ाव पर कभी किसी मंच पर बोलने का मौका मिले तो ये मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी।
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Image Credit :- Punjab Kesari
आपका बहुत बहुत धन्यवाद, संदीप जी।