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हिंदी कविता साहित्यकार
कितना कुछ जानते हो तुम साहित्यकार!
कदमों की चाल से नाप लेते हो थकान..
भांप लेते हुए आंखों की कोर में. ..
सफाई से छुपाया गया एक रेगिस्तान।
पहचान लेते हो
बदलते मिजाज की कड़वाहट..
बदल जाते हो उसी क्षण अचानक..।
महसूस कर लेते हो तरंगें…
जो हैं तुम्हारे आसपास।
पढ़ लेते हो हवाओं के गीत,
पत्तों की बातचीत…
भवरों का फूलों से अनुराग।
बस नहीं पढ़ पाते तो खुद को ..
या जान के बन जाते हो अनजान।
कभी खुद से भी मिला करो..
जो रहता है तुम्हारी अनदेखी से हैरान, परेशान।
रचनाकार का परिचय
नाम : निमिषा सिंघल
शिक्षा : एमएससी, बी.एड,एम.फिल, प्रवीण (शास्त्रीय संगीत)
निवास: 46, लाजपत कुंज-1, आगरा
निमिषा जी का एक कविता संग्रह, व अनेक सांझा काव्य संग्रहों में रचनाएं प्रकाशित हैं। इसके साथ ही अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं की वेबसाइट पर कविताएं प्रकाशित होती रहती हैं।
उनकी रचनाओं के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया है जिनमे अमृता प्रीतम स्मृति कवयित्री सम्मान, बागेश्वरी साहित्य सम्मान, सुमित्रानंदन पंत स्मृति सम्मान सहित कई अन्य पुरुस्कार भी हैं।
“ हिंदी कविता साहित्यकार ” ( Hindi Kavita Sahityakar ) के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे रचनाकार का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।
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धन्यवाद।
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