ज़िन्दगी के सफ़र में हमसफ़र के साथ देने की चाहत पर हिंदी कविता जिंदगी का कारवां :-
हिंदी कविता जिंदगी का कारवां
जिन्दगी का कारवां कभी थम न जाए
प्यार कुछ इस कदर करना जिसकी मिसाल बन जाए ।
मैं चुप हो जाऊं तो तुम कहते रहना ।
जीवन के इस पहलू में मेरा संबल बनकर रहते रहना ।
ख़त्म कभी न हो पाए चाहत का दरिया
तुम शीतल जल बनकर बहते रहना ।
मैं चुप हो जाऊं ……
संग संग न रहकर भी हम पास है
बस इतना ही कहते रहना ।
हम बुनियाद नहीं बन पाए एक साथ नहीं रह पाए
यादों में धड़कन बन साथ मेरे चलते रहना ।
मैं चुप हो जाऊं तो तुम कहते रहना ।
मैं दरिया सी प्यासी
तुम सागर की लहरें बन मुझसे मिलते रहना ।
मैं चुप हो जाऊं ……….
मेरे भोले भाले ख्वाबों में तुम मुझको मेरे बन गहते रहना।
मेरे जीवन के हर पहलू में खुशबू बनकर बिखरे रहना ।
मैं चुप हो जाऊं तो तुम कहते रहना ।
- पढ़िए :- हिंदी कविता “अजनबी बनकर”
रचनाकार कर परिचय :-
नाम – अवस्थी कल्पना
पता – इंद्रलोक हाइड्रिल कॉलोनी , कृष्णा नगर , लखनऊ
शिक्षा – एम. ए . बीएड . एम. एड
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