आप पढ़ रहे हैं हिंदी प्रेम कविता ( Hindi Prem Kavita )”मुझसे दूर न जाना”
हिंदी प्रेम कविता
प्रिय तुम मुझसे दूर न जाओ
मेरे मन में आज नशा है।
घूंघट खोल रही है कलियां
नंदन वन की वायु चली है
सुरमित दीखी आज गली है,
लगती सुखमय मधुरिम बेला
जीवन नंदन मंजुल मेला,
उठती मन में मधुरिम आशा
मिटती सारी थकित पिपासा।
तुम भी हंस दो मेरे, प्रियवर
आज गगन में चांद हंसा है।
तुम कुछ लगतीं इतनी भोली
जैसे कोयल की मधु बोली,
तुमको पाकर धन्य हुआ मैं
औरों का अन्य हुआ मैं,
तुमसे सारा जीवन हंसता
तुम पर मेरा मन है रमता,
मेरे मन की तुम्हीं कली हो
तेरे मन का मैं ही अली हूं।
झिलमिल चलतीं मधुर बयारें,
मेरे मन में प्यार बसा है।
मेरा दिल कहता मुझ से
तुम पर मैं हो जाऊं बलिहारी,
कंचन सी तेरी है यह काया
मेरे मन की सारी माया,
खींच रही है बरबस मन को
तोड़ रही है सारे प्रण को,
अंचल छोर तुम्हारा उड़ता
मेरे मन का गान उमड़ता,
अंग अंग थिरक रही है माया
वस्त्र -सुसज्जित रूप तुम्हारा।
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रचनाकार का परिचय –
नाम—कालिका प्रसाद सेमवाल
शिक्षा—एम०ए०, भूगोल, शिक्षा शास्त्र
आपदा प्रबंधन, व्यक्तित्व विकास फाउंडेशन कोर्स विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए बी०एड० सम्प्रति व्याख्यात
सेवारत —जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रतूड़ा रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
प्रकाशित पुस्तकें–रूद्रप्रयाग दर्शन
अमर उजाला,दैनिक जागरण ,हिंदुस्तान व पंजाब केसरी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में धर्म संस्कृति व सम सामयिक लेख प्रकाशित होते हैं ,उत्तराखंड विघालयी शिक्षा की हमारे आसपास,कक्षा 3,4,5, और कक्षा 6 की सामाजिक विज्ञान पुस्तक लेखन समिति के सदस्य और लेखक भी हैं।
अब तक प्राप्त सम्मान—
रेड एण्ड व्हाईट पुरस्कार, हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग द्वारा साहित्यभूषण, साहित्य मनीषी,अन्य मानस श्री कालिदास सम्मान,उत्तराखंड गौरव साहित्य मण्डल, श्रीनाथ द्वारा साहित्य रत्न, साहित्य महोपाध्याय सम्मानोपधि व देश की विभिन्न संगठनों द्वारा साहित्य में पचास से अधिक सम्मान मिल चुके है
पता—मानस सदन अपर बाजार
रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
पिनकोड 246171
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