कविता अरदास मेरे मन की
कविता अरदास मेरे मन की
अरदास मेरे मन की
माँ बेकार नहीं होगी,
तु संग है तो जीवन में
कभी हार नहीं होगी।।
गमों से टूट जाऊं मैं
माँ ये हो नहीं सकता,
बेटे हो गर दु:ख में तो
पिता सो नहीं सकता,
माँ-बाप बिन नैया
भवपार नहीं होगी,
तु संग है तो जीवन में
कभी हार नहीं होगी।।
घनघोर अंधेरा हो या
फिर काल हो आगे,
कह दुंगा मैं उनसे
मेरी माँ है मेरे सागे,
ऐसी में जग की भी
मुझे दरकार नहीं होगी,
तु संग है तो जीवन में
कभी हार नहीं होगी।।
भक्ति का समर्पण हो
मन में गर सबके,
रहे महफूज आँचल में
भगवान कहे चलके
इज्जत जमाने में कभी
शर्मसार नहीं होगी,
तु संग है तो जीवन में
कभी हार नहीं होगी।।
अरदास मेरे मन की
माँ बेकार नहीं होगी,
तु संग है तो जीवन में
कभी हार नहीं होगी।।
पढ़िए :- स्वर्गीय माँ पर कविता – माँ नहीं हमारे पास
“ कविता अरदास मेरे मन की ” ( Kavita Ardaas Mere Man Ki ) आपको कैसी लगी ? “ कविता अरदास मेरे मन की ” ( Kavita Ardaas Mere Man Ki ) के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे लेखक का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।
यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।
- हमारा फेसबुक पेज लाइक करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
- हमारा यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
धन्यवाद।
Really goood bhai. You have written marvellously