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हिंदी कविता काल ने तांडव रचा
काल ने तांडव रचा..
जीना मुश्किल हुआ,
चंद सांसें भी लेना दुश्वार हुआ..
सांसे बिकती है ..बोलो खरीदोगे?
बिकता है जमीर खरीदोगे?
मुनाफाखोर ले रहे मुनाफे का मजा..
उन्हें क्या मतलब!!
देश पर संकट घना।
बेबसी का यह आलम की मजबूर सब…
जिंदा बचना भी दिन पर दिन मुश्किल हुआ।
प्रार्थनाएं जरूरी
काल की गति तेज है…
यह सुनामी है संकट का जोर बहुत।
मुश्किल हर घड़ी बिछड़ रहे हैं सभी..
आंसा समझो न महामारी का दौर है।
मास्क गैर जरूरी है समझा अब तक…
अब संभल जाओ काल से टक्कर है सख्त।
बचा लो खुद को घर में रहकर सभी…
न निकलो बाहर
काल की तेज गति।
न डरना को -वैक्सीन से
यह है रक्षा कवच…
सावधानी ही रक्षक सुरक्षा कवच।
रचनाकार का परिचय
नाम : निमिषा सिंघल
शिक्षा : एमएससी, बी.एड,एम.फिल, प्रवीण (शास्त्रीय संगीत)
निवास: 46, लाजपत कुंज-1, आगरा
निमिषा जी का एक कविता संग्रह, व अनेक सांझा काव्य संग्रहों में रचनाएं प्रकाशित हैं। इसके साथ ही अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं की वेबसाइट पर कविताएं प्रकाशित होती रहती हैं।
उनकी रचनाओं के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया है जिनमे अमृता प्रीतम स्मृति कवयित्री सम्मान, बागेश्वरी साहित्य सम्मान, सुमित्रानंदन पंत स्मृति सम्मान सहित कई अन्य पुरुस्कार भी हैं।
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