राघवेंद्र सिंह जी की प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास को समर्पित ” कुमार विश्वास पर कविता ” :-
कुमार विश्वास पर कविता
भारत जैसी पुण्य धरा से
एक बीज प्रस्फुटित हुआ।
मार्तंड रवि दिनकर सा वह
उदयाचल से उदित हुआ।
पाकर ऐसा दिव्य लाल
धन्य हुई यह सकल धरा।
वीणापाणि अंश है जन्मा
स्वयं प्रफुल्लित हुई स्वरा।
ऋतु वासंतिक अंक में खेला
चहुँ ओर स्वर्णिम पल था।
सृजन बीज निकला मिट्टी से
हिन्दी का वह ही कल था।
जैसे कोई भ्रमर कुमुदिनी
पर मचला वह भी मचला।
थाम हाथ में कलम लेखनी
थाम लिया हिन्दी अंचला।
अलंकार नवरस पुष्पों से
कविता का श्रृंगार किया।
कोई दीवाना कहता है से
शब्दों का आभार किया।
चली लेखनी जब कागज़ पर
कविता और संगीत बने।
जिसकी धुन पर दुनिया नाचे
ऐसे मधुमय गीत बने।
कहीं अमावस की काली
रातों को कविता में बांँधा।
कहीं कवि के शब्द बाण से
कहीं निशाना है साधा।
कहीं प्रेम की मधुर बांँसुरी
कहीं प्रीत की व्याकुलता।
कहीं कवि का देशप्रेम लिख
कहीं चांँद की चंचलता।
कहीं लिखा छोटे स्वप्नों को
कहीं शौर्य भारत वीरों का।
कहीं प्रेम के अनगढ़ मोती
कहीं हृदय के उन पीरों का।
मांँ हिन्दी का एक लाडला
मांँ हिन्दी का वह प्यारा।
कवि नीरज का निशा नियामक
कविता का वह ही तारा।
वाचन गायन हो या मंचन
वहांँ दिखी इनकी प्रतिभा।
शब्दों के जादूगर अद्भुत
कविराज सी है आभा।
हिन्दी के साहित्य जगत में
पुष्प सुगंधित जब आयेंगे।
हे कविराज प्रखर स्वरों से
तेरे गीत गुनगुनाए जायेंगे।
पढ़िए :- हिंदी कविता – आसमां के सफर में
रचनाकार का परिचय
यह कविता हमें भेजी है राघवेंद्र सिंह जी ने लखनऊ, उत्तर प्रदेश से।
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