हमें जन्म देने और पालने वाले भगवान को समर्पीत माता-पिता पर कविता :-

माता पिता पर कविता

माता पिता पर कविता

जिन्दगी है आपसे
माँ बाबा जिन्दगी है आपसे…….

जब चलना ना आया,
गोद में उठाया।
गोद से उतरे,
अँगुली पकड़ चलना सिखाया।

शिक्षालय का पथ बस्ता उठाया, संग ऊंगली
पकड़ पार करवाया,
किताबों को किनारे पार लगाया।।

भाग दौड़ की है आपने,चिंता ली है आपने।
जिदंगी की, हर जंग लड़ी है मेरी, आपने।।

पता न चला कब,
साइकिल से मोटरसाईकिल तक
का सफर, तय करवाया,आपने।।

जीवन के हर पहलु को
अनुभव से बताया आपने ,
अनुभव की सीख,
काबिल बनाया आपने।।

माँ बाबा दी हुई अमानत,
हवाले है आपके ,

बिन आपके हम नहीं,
जिदंगी है आपसे …
माँ बाबा जिदंगी है आपसे
जिदंगी है आपसे।।


रचनाकार का परिचय :-

ब्रिजना शर्मा यह कविता हमें भेजी है ब्रिजना शर्मा जी ने रामगढ़ शेखावाटी, सीकर से। ब्रिजना शर्मा अपने शब्दों से समाज में सकारात्मक सोच लाने की कोशिश करती हैं।

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