Nari Samman Par Kavita हमारे समाज में नारी को किस नजर से देखा जाता है इसी विषय पर आधारित है यह नारी सम्मान पर कविता :-
Nari Samman Par Kavita
नारी सम्मान पर कविता
नारी सम्मान का पाठ
कब हम जीवन की
पुस्तक में लाएंगे,
होता रहा जो सदियों से अब तक
उसे क्या कभी नहीं बदल पाएंगे।
द्रौपदी के चीर हरण औ ‘
निर्भया के बलात्कार ने
साबित कर दिखाया है,
हर सदी में पुरुष ने नारी को बस
इक भोग की वस्तु ही
समझ पाया है।
पुरूष के जीवन का
हर इक कोना महकाती नारी,
उसके हृदय की बगिया में
प्रेम पुष्प भी खिलाती नारी।
कोख से लेकर शोक तक
हर पल में साथ निभाती नारी,
माँ, बहन, बेटी, पत्नी
हर भूमिका में रम जाती नारी।
अपने घर को छोड़
पुरूष के घर को संभालती नारी,
अपने स्नेह की खुश्बू बिखेर
मकान को घर बनाती नारी।
फिर उसे क्यों
तुच्छ समझा जाता है,
अर्धांगिनी बन कर भी क्यों
सम्मान उसका वंचित रह जाता है।
कहने को तो अब
हर क्षेत्र में नारी है,
किन्तु पुरूष की समझ का
बहुत सा कोना
उसके लिए खाली है।
पढ़िए :- नारी पर कविता “हे नारी तू महान है”
रचनाकार का परिचय
नाम – वंदना अग्रवाल निराली
पता – लखनऊ, उत्तर प्रदेश
वंदना जी एक पत्नी, गृहिणी, माँ, बहु और शिक्षिका हैं। इन्हें कविताएँ लिखने और पढ़ने का शौक है। इनकी कविता रूपायन पत्रिका और दूसरी वेबसाइट पर भी प्रकाशित होती रही है।
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धन्यवाद।
Vandna ji naari par aapne bahut hi khoobsurat aur umda rachna likhi hain.aapki rachna ke liye mere tahedil se bahut bahut shubhkamnye. Maggesa milte hi jawaab ka intzaar rahenga.main bi ek kavi hu.is blog par kush rachnaye beji hain.jarur like karna.