आप पढ़ रहे हैं नव वर्ष पर कविता ( Nav Varsh Par Kavita ) अंततम और नूतन बरस :-
नव वर्ष पर कविता
नूतन वर्ष के स्वागत में,
बीतते बरस भुला चुके हैं।
सपने जो देखे उस वर्ष,
उन्हें नींद में सुला चुके हैं।।
हर क्षण दे गया नया जीवन
धन्य हुआ उमर का ये साल
कुछ मिला उम्मीदों से ज्यादा
तो कुछ पर छोटा एक सवाल।
दुख-सुख हर्ष उल्लास
उपलबध्यिों की मधु यादें,
दर किनारा कर इन्हें,
कल्पित गुब्बार फुला चुके है।।
खोना पाना तो जीवन का सार
तो यहीं, नया-पुराना जीत-हार
इस पार छोड़ के समय प्रवाह
चला चल उस नए तट के पार।
क्या कुछ, क्या नया हासिल
नहीं हुआ इस साल
इसकी बिदाई छोड़,
जश्नमय खाता खुला चुके हैं।।
कैसे छोड़ पाओगे इस साल को
जिसने रच दिया है एक इतिहास
शोक भरी विदाई इसे देनी होगी
किंचित ना करें इसका परिहास।
सच है पुराना जाएगा
तभी तो नया स्थान पाएगा
अब नए को पाकर,
बीती यादें सब धुला चुके हैं।।
नूतन वर्ष के स्वागत में,
बीतते बरस भुला चुके हैं।
सपने जो देखे इस वर्ष,
उन्हें नींद में सुला चुके हैं।।
पढ़िए :- चरित्र निर्माण पर कविता “मूल्यांकन”
मैं संदीप सिंधवाल संजू पुत्र श्री तुंगडी सिंधवाल रौठिया रुद्रप्रयाग उत्तराखंड का निवासी हूं। मैंने हिंदी में दिल्ली विश्वविद्यालय से एम. ए. किया है तथा कलनरी आर्ट फूड साइंस में बी. एस. सी. किया है। 5 साल दिल्ली के एक होटल में शेफ की नौकरी करने के पश्चात मै 5 साल से ऑस्ट्रेलिया के समीप पोर्ट मोरस्बी में कार्यरत हूं। मेरा व्यवसाय मेरे लेखन से बिल्कुल विपरीत है।
विदेश में रहकर भी मैंने बहुत कविताएं लिखी हैं। मै सन 2000 से कविताएं लिखता हूं जो विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। मैट्रिक पास करने के बाद ही मेरी कविता रचना मै रुचि बढ़ी। भगवान रुद्र पर कविता लिखना मेरा सौभाग्य है। विदेशों में हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए भरसक प्रयास करता हूं।
“ नव वर्ष पर कविता ” के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे रचनाकार का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढने का मौका मिले।
यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।
हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।
धन्यवाद।
Leave a Reply