औरत पर कविता – बेड़ियाँ | Aurat Par Kavita
Aurat Par Kavita - श्वेता गौतम जी की " औरत पर कविता - बेड़ियाँ " Aurat Par Kavitaऔरत पर कविता वो तुम्हारी होकर क्यों,अपनी पहचान भूल जाती है।सीने में छिपा के दर्द जमाने का,तुम्हारे लिए मुस्कुराती है।। एक आह पे तुम्हारीवो मीलों दौड़ जाती है।एक औरत ही है ये,जो सब…