कविता नीम की छांव | Neem Ki Chhanv Poem In Hindi
आप पढ़ रहे हैं कविता नीम की छांव :- कविता नीम की छांव गिल्ली डंडा बाघा बीताछुक छुक इंजन वाला खेल,दिन भर आना जाना रहतासबसे होता रहता मेल। सुख-दु:ख की सब बात समझते,अपनापन के फूल थे झड़ते ,तैरते प्यार की नाव मेंपुराने नीम की छांव में। बिखर गये सम्बन्ध सबपतझड़ सा बहार में,ऐसा…