जोश भरी कविता | Josh Kavita In Hindi

जोश भरी कविता - आप पढ़ रहे हैं जोश भरी कविता - प्रबल इच्छा ने जब ललकारा :- Josh Kavita In Hindiजोश भरी कविता प्रबल इच्छा ने जब ललकारापिया मैने तब संकल्प का प्याला,विफल हुआ हूं नहीं मै हाराआलस को अब जीवन से टाला। आराम नहीं अब करना हैनिरंतर चलते रहना है,जैसे सरिता सागर से मिलतीवैसे मुझको भी बहना…

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हास्य कविता : लाइब्रेरी और राजनीति | Hasya Kavita

हास्य कविता : लाइब्रेरी और राजनीति अखबार में पढ़ा कि बंदरों ने किताबें फाड़ दी एक लाइब्रेरी में, समझ नहीं पाया, ये काम सही समय पर हुआ या देरी में। क्या बंदरों ने ये सोचा कि ये बेमतलब में किताबें छपाई क्यों, और अगर पढ़ना ही नहीं था तो लाइब्रेरी…

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ग़ज़ल – भूलने में ज़माने लगे हैं | Ghazal Zamane Lage Hain

ग़ज़ल - भूलने में ज़माने लगे हैं रक़ीबों से निस्बत बढ़ाने लगे हैं दिलो-जान उन पर लुटाने लगे हैं वो फिर से पलटकर क्यूँ याद आए जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हैं। रक़ाबत के मारे ये हमजाम याराँ हमें महफ़िलों से उठाने लगे हैं न दिन में तसल्ली न शब…

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हास्य कविता : कोरोना और आप | Hasya Kavita Corona

कोरोना के समय में तनाव को कम करने और चेहरे पर मुस्कान लाने वाली हास्य कविता : कोरोना और आप - हास्य कविता : कोरोना और आप आप इस धरती के सबसे शक्तिशाली जीव हैं, ये बात आप अच्छी तरह से जानते हैं, ये बात और है कि आपके परमशत्रु…

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देशभक्ति कविता : हिंद की ओर | Desh Bhakti Kavita

देशभक्ति कविता : हिंद की ओर सहज-सहज, प्रभु को सिमर-सिमर। पग चले, प्रगति स्वर्ण, हिंद की ओर। धूमिल न हो राष्ट्र, छवि, विश्व पटल पर। चले सर्वत्र क्षण, स्वच्छता का उपक्रम। क्षण-क्षण, सदन-कुंज में हो प्रेम सदा। धीमें से चले, पग हिंद, उत्थान की ओर। प्रभु में विलीन हो, सर्व…

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प्रकृति वर्णन पर कविता | Prakriti Soundarya Par Kavita

प्रकृति वर्णन पर कविता झर-झर, झर झर, निर्झर, निशा नीर गिरे। कल-कल, करतल ध्वनि, तरंगिनी करें। चारू-चंचल, किरणें, मधुर समीर बहें। मृदु भूमि, शशी पूर्ण चांदनी सलील लगे।। झर-झर, झर-झर, झरने, रह, रह मधु नीर बहें। भूधर, उपवन, विचरण कर, सिंह शूर हिंद खड़े। सहज, समीर, सिमर प्रभु को वृक्ष…

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सुबह पर कविता :- एक दीप जलाकर | Subah Par Kavita

सुबह पर कविता प्यारा सा एक दीप जलाकर आंगन को रोशन कर डाला, तम के सहचर डर कर भागे जब लुप्त हुआ अँधेरा काला। भटके पथिकों को राह मिली यामिनी ने सिर पे घूंघट डाला, शांत बच्चों ने किया कोलाहल क्षण में छाया समक्ष उजाला। विहंगों को सन्देश सा हुआ…

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आओ सूरज का आहवान करें – कोरोना मुक्ति पर कविता

आप पढ़ रहे हैं - कोरोना मुक्ति पर कविता " आओ सूरज का आहवान करें " :- आओ सूरज का आहवान करें आतंकित है मनुष्य काेराेना के भय से आक्राेसित है विश्व अनचाहे त्रास से चूर हाे गया घमण्ड अधिनायकाें का हे! प्रकट हाे अशिम उर्जा बन दिव्यज्याेति अहिंसा की…

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एकल जीवन है एक संघर्ष :- अकेली नारी के दर्द पर कविता

एकल जीवन है एक संघर्ष एकल जो जीवन यापन करती, उनका क्या, कहना! इस जीवन में, वो ही तो है, सबसे बड़ी योद्धा। हर चुनौतियों को जो स्वीकार करती, खुद ही खुद को हौसला दे, स्वयं को मजबूत बनाती। हर परिस्थिति का बेखौफ सामना कर, एकल होकर भी बच्चों के…

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पर्यावरण संरक्षण पर हिंदी कविता :- वसुधा के साथ किया व्यापार

पर्यावरण संरक्षण पर हिंदी कविता वृक्षों को काटकर मानव ने वसुधा के साथ किया व्यापार, नदियों को भी मैला कर के जीवन में मचाया हाहाकार। एक नहीं हैं किये अनंत धरा ने मानव पर उपकार, बदले में वह कर रहा प्रकृति के हृदय पर वार। मीठे फल तुम्हें भेंट किये…

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ग़ज़ल – बावरा मन | Ghazal Bawra Man

ग़ज़ल – बावरा मन पेड़ की फुनगी का तोता बावरा मन। उन्स में ईश्वर के रोता बावरा मन। ग़र्ज़ के गहरे समुंदर में नहाकर हर भरोसा अपना खोता बावरा मन। ज़ह्र की फ़सलें कभी काटी न जाएं प्रेम के बीजों को बोता बावरा मन। दर्द से जोड़ा है नाता इस…

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धरती माँ पर कविता इन हिंदी :- माँ वेंटीलेटर पर | Dharti Maa Par Kavita

धरती माँ की बिगड़ती हालत पर ( Dharti Maa Par Kavita In Hindi ) धरती माँ पर कविता " माँ वेंटीलेटर पर है " धरती माँ पर कविता शांत है धरा, गगन भी है चुप खड़ा,पेड़-पौधे,पत्ते सांस लेते दिख रहेखुलकर पक्षी गा रहे, हवा में सब नाच रहेनागिन सी नदियाँ…

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