पुत्र के सम्बन्ध में माता का महत्व क्या होता है , इस पर बहुत कुछ लिखा गया और रचना की गई है। परन्तु पुत्र के सम्बन्ध में पिता का क्या महत्व है, इसे दर्शाती एक छोटी सी रचना ” पिता के लिए कविता ” प्रस्तुत है :-

पिता के लिए कविता

है एक शख्स वह पिता हमारा ,
जिसनें चलना सिखलाया।
तन मन में पुलकन भर भर कर,
बाँहों में हमें झुलाया ।। 1।।

शिष्टाचार सभ्यता तौर तरीका,
पग पग पर हमको बतलाये ।
किस तरह बनें जीवन सुखमय,
चुन चुन कर पाठ पढ़ाये ।।2।।

दूर पराजय भगा भगा कर,
कैसे विजयी रहना है ।
दुष्कर प्रलयंकर और भयंकर,
स्थिति से कैसे लड़ना है ।।3।।

पिता रूप में पाकर तुमको,
भाग्य जगे हैं मेरे ।
हो पूजनीय तुम पिता हमारे,
भगवान तुम्हीं हो मेरे ।।4।।

सुख में बीता बचपन मेरा ,
पढ़ते हुआ सयाना ।
पिता रत्न है इस जग में,
पिता अमोल खजाना ।।5।।

कभी डाँटता त्रुटियों पर वह ,
कभी स्नेह से भर देता ।
कभी उठाता गिर जाने पर ,
अपनी बाँहों में भर लेता ।।6।।

जो करते अपमान पिता का,
वह कभी सँभल ना पाते हैं ।
होता व्यतीत दुःख में जीवन,
वह कभी नहीं सुख पाते है ।।7।।

जो दिया सहारा बचपन में ,
वह मूल्य चुका ना पाओगे ।
गर तनिक किया अपमान पिता का ,
जीवन भर पछताओगे ।।8।।

पढ़िए :- पिता को समर्पित कविता “शिक्षित किए मुझे मेरे तात”


रचनाकार का परिचय

रूद्र नाथ चौबे ("रूद्र")नाम – रूद्र नाथ चौबे (“रूद्र”)
पिता- स्वर्गीय राम नयन चौबे
जन्म परिचय – 04-02-1964

जन्म स्थान— ग्राम – ददरा , पोस्ट- टीकपुर, ब्लॉक- तहबरपुर, तहसील- निजामाबाद , जनपद-आजमगढ़ , उत्तर प्रदेश (भारत) ।

शिक्षा – हाईस्कूल सन्-1981 , विषय – विज्ञान वर्ग , विद्यालय- राष्ट्रीय इंटर कालेज तहबरपुर , जनपद- आजमगढ़ ।
इंटर मीडिएट सन्- 1983 , विषय- विज्ञान वर्ग , विद्यालय – राष्ट्रीय इंटर कालेज तहबर पुर , जनपद- आजमगढ़।
स्नातक– सन् 1986 , विषय – अंग्रेजी , संस्कृत , सैन्य विज्ञान , विद्यालय – श्री शिवा डिग्री कालेज तेरहीं कप्तानगंज , आजमगढ़ , (पूर्वांचल विश्व विद्यालय जौनपुर ) उत्तर प्रदेश।

बी.एड — सन् — 1991 , पूर्वांचल विश्व विद्यालय जौनपुर , उत्तर प्रदेश (भारत)
साहित्य रत्न ( परास्नातक संस्कृत ) , हिन्दी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद , उत्तर प्रदेश

पेशा- अध्यापन , पद – सहायक अध्यापक
रुचि – आध्यात्मिक एवं सामाजिक गतिविधियाँ , हिन्दी साहित्य , हिन्दी काव्य रचना , हिन्दी निबन्ध लेखन , गायन कला इत्यादि ।
अबतक रचित खण्ड काव्य– ” प्रेम कलश ” और ” जय बजरंगबली “।

अबतक रचित रचनाएँ – ” भारत देश के रीति रिवाज , ” बचपन की यादें ” , “पिता ” , ” निशा सुन्दरी ” , ” मन में मधुमास आ गया (गीत) ” , ” भ्रमर और पुष्प ” , ” काल चक्र ” , ” व्यथा भारत की ” इत्यादि ।

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