पिता पर हिंदी कविता
नहीं पता की वो अपने दिल में
कितना दर्द दबाते हैं,
पिता हमारे सुख दु:ख में
सदा ही मुस्कुराते हैं।
पिता विन सब सूना,
पिता हमारी पहचान है,
पिता ही आस
पिता ही विश्वास है,
पिता से ही सब जग मेरा
पिता हमारी सांस है।
कष्ट जब पड़ता है
कभी ना वो डगमगाते है,
दुनिया जब हमें ठोकर मारती
पिता ही हमें उठाते है,
पिता हमारे सुख दु:ख में
सदा ही मुस्कुराते है।
मात-पिता बिन दुनिया सूनी,
जैसे तपती आग की धूनी,
मां ममता की धारा है,
पिता सबका सहारा है,
इसी लिए इस भवसागर से
नैया पार कराते है,
पिता हमारे सुख दु:ख में
सदा ही मुस्कुराते है।
नाम :- प्रकाश रंजन मिश्र
पिता :- श्री राज कुमारमिश्र
माता :- श्रीमती मणी देवी
जन्मतिथि :- 05/05/1996
पद-: सहायकप्राध्यापक, वेद-विभाग(अ.), राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान जयपुर परिसर, जयपुर (राजस्थान)
अध्यायन स्थल-: श्रीसोमनाथसंस्कृतविश्वविद्यालय,वेरावल, (गुजरात)
आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान वेद विद्यालय मोतिहारी (बिहार)
वेद विभूषण वेदाचार्य(M.A), नेट, गुजरात सेट, लब्धस्वर्णपदक, विद्यावारिधि(ph.d) प्रवेश
डिप्लोमा कोर्स :- योग, संस्कृतशिक्षण,मन्दिरव्यवस्थापन,कम्प्युटर एप्लिकेशन।
प्रकाशन :- 7 पुस्तक एवं 15 शोधपत्र,10 कविता
सम्मान :- ज्योतिष रत्न, श्री अर्जुन तिवारी संस्कृत साहित्य पुरस्कार से सम्मानित
स्थायीपता :- ग्राम व पोस्ट – डुमरा, थाना -कोटवा ,जिला- पूर्वी चंपारण (बिहार)
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Nice sir