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शब्द पर कविता | Shabd Par Kavita
शब्दों की गरिमा है ,
उसकी अपनी महिमा है।।
हर दिल में यहां वेदना है,
जिसमे मीठी बोली ही दवा है।।
मानव केवल अपनी
जिव्हा से हारा है,
अहंकार , मद , काम , क्रोध
से मानवता को मारा है।।
हास हो रही नैतिक मूल्यों की,
बदल रहा आमूलचूल परिवेश
जगत का सारा।।
राम , कृष्ण , गोतम ने
धरा पर अवतरित होकर
शब्दों की गरिमा से ही
जीवन का सारा ज्ञान दे डाला।।
मानव मूल्यों की गरिमा में
शब्द ही उसकी पहचान है
मानव मूल्यों की गरिमा को
सुगन्धित कर डाला।।
पढ़िए :- शब्द पर कविता ” शब्दों का खेल है सारा ”
रचनाकार का परिचय
नाम – संध्या शर्मा
स्नाकोत्तर – एम. एससी . ( वनस्पति विज्ञान ) 71%
“विश्वविद्यालय की प्रावण्य सूची में स्थान ”
(देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर )
साहित्यिक परिचय – 1 साल से लिखना प्रारम्भ किया है जिसमे 50 से ज्यादा कविताएं तथा 5
लेख है जो अलग – अलग वेबसाइट रचनाएं प्रकाशित है।
जिसमे कुछ को सम्मान मिला है , कुछ को सराहना , कुछ को मासिक पत्रिका में स्थान।।
लेखन मेरा शोक है जिसमें मुझे लिखने पर अंदर से खुशी मिलती हैं। शब्द गहरे नहीं होते है मेरी रचनाओं के सीखने का प्रयास कर रही हूं। मंच पटल पर बहोत कुछ सीखने को मिलता है। वर्तमान में सिविल सर्विस , प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी के साथ लेखन कार्य कर रही हूं।
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