अंशु विनोद गुप्ता जी एक गृहणी हैं। बचपन से इन्हें लिखने का शौक है।नृत्य, संगीत चित्रकला और लेखन सहित इन्हें अनेक कलाओं में अभिरुचि है। ये हिंदी में परास्नातक हैं। ये एक जानी-मानी वरिष्ठ कवियित्री और शायरा भी हैं। इनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। जिनमें “गीत पल्लवी “,दूसरी पुस्तक “गीतपल्लवी द्वितीय भाग एक” प्रमुख हैं। जिनमें इनकी लगभग 50 रचनाएँ हैं।
इतना ही नहीं ये निःस्वार्थ भावना से साहित्य की सेवा में लगी हुयी हैं। जिसके तहत ये निःशुल्क साहित्य का ज्ञान सबको बाँट रही हैं। इन्हें भारतीय साहित्य ही नहीं अपितु जापानी साहित्य का भी भरपूर ज्ञान है। जापानी विधायें हाइकु, ताँका, चोका और सेदोका में ये पारंगत हैं।
ग़ज़ल अच्छा लगता है ख़त का आना,सबसे छुपाना, अच्छा लगता है। सोच के रखना नया ठिकाना, अच्छा लगता है। पहली टक्कर,ज़ोर का झगड़ा नहीं भूलता कुछ बार-बार क़िस्सा दोहराना, अच्छा लगता है। प्यार का बोसा,टपका आँसू, सुर्ख़ गुलाबी गुल ख़त से इत्र की ख़ुश्बू आना, अच्छा लगता है। चाँदनी रातें,तारे…
ग़ज़ल न तुम ही मिलोगे न तुम ही मिलोगे न हम ही मिलेंगे। फ़क़त सोज़-ए-हिज्रां में जलते रहेंगे। निभा दोनों लेंगे यूँ अपनी वफ़ा को अगर जी न पाए यक़ीनन मरेंगे। ज़माने के डर से बहुत खींची रेखा कभी ना कभी फ़ासले तो मिटेंगे। वो युग था पुराना ख़तों का…
ग़ज़ल - भूलने में ज़माने लगे हैं रक़ीबों से निस्बत बढ़ाने लगे हैं दिलो-जान उन पर लुटाने लगे हैं वो फिर से पलटकर क्यूँ याद आए जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हैं। रक़ाबत के मारे ये हमजाम याराँ हमें महफ़िलों से उठाने लगे हैं न दिन में तसल्ली न शब…
ग़ज़ल – बावरा मन पेड़ की फुनगी का तोता बावरा मन। उन्स में ईश्वर के रोता बावरा मन। ग़र्ज़ के गहरे समुंदर में नहाकर हर भरोसा अपना खोता बावरा मन। ज़ह्र की फ़सलें कभी काटी न जाएं प्रेम के बीजों को बोता बावरा मन। दर्द से जोड़ा है नाता इस…
आप पढ़ रहे हैं आदरणीया अंशु विनोद गुप्ता जी द्वारा रचित कोरोना पर बाल कविता ( Corona Par Bal Kavita ) “ सुनोना सुनोना ” कोरोना पर बाल कविता सुनोना ,सुनोना, सुनोना। मेरी बातें नानी सुनोना।। मोदी जी ने जो भी कहा है उन सबका पालन करोना।। बचोना, बचोना, बचोना।…
आप पढ़ रहे है कोरोना महामारी से बचने के लिए प्रेरित करते आदरणीया अंशु विनोद गुप्ता जी के ( Corona Par Dohe Hindi Mein ) कोरोना पर दोहे हिंदी में :- कोरोना पर दोहे हिंदी में भय कोरोना देखिए, नहीं थूकता पीक। सड़कें भी सुनसान हैं,न खाँसी न छींक।। धरती…
आप पढ़ रहे है आदरणीया अंशु विनोद गुप्ता जी की ग़ज़ल - क़सम दिल से जो खाते हैं ( Ghazal Kasam Dil Se Jo Khate Hain ) :- ग़ज़ल - क़सम दिल से जो खाते हैं सदा ही साथ रहने की क़सम दिल से जो खाते हैं वही फिर राह…
आदरणीया अंशु विनोद गुप्ता जी की ग़ज़ल - झूठ की ताज़ा ख़बर अख़बार है ( Ghazal Jhooth Ki Taza Khabar ) :- ग़ज़ल - झूठ की ताज़ा ख़बर झूठ की ताज़ा ख़बर अख़बार है। हर ख़बर अब बन गई व्यापार है। कुछ नज़ाकत,कुछ नफ़ासत ये अना हुस्न की तो हर…
आदरणीया अंशु विनोद गुप्ता जी की ( Geetika Nahi Samjho Mujhe Abla ) गीतिका - नहीं समझो मुझे अबला :- गीतिका - नहीं समझो मुझे अबला नहीं समझो मुझे अबला, भले कोमल सी' काया है। समर्पित कर दिया जीवन, सदा ही घर बसाया है। बड़े अरमान थे माँ के, उन्हें…
आदरणीया अंशु विनोद गुप्ता जी की ( Ghazal Sanam Diwani Hun Teri ) ग़ज़ल – सनम दीवानी हूँ तेरी :- ग़ज़ल – सनम दीवानी हूँ तेरी सनम दीवानी हूँ तेरी, तुझे गुलफ़ाम लिक्खा है। हथेली पर हिना से यूँ, तेरा ही नाम लिक्खा है।। रुकी कब चाह उल्फ़त की, ज़माने…
आदरणीया अंशु विनोद गुप्ता जी की ग़ज़ल - सलामत रहे आशियाना तुम्हारा :- ग़ज़ल - सलामत रहे आशियाना तुम्हारा इशारे से छत पर बुलाना तुम्हारा। मुझे देखकर लौट जाना तुम्हारा। मुहब्बत अगर है तो इज़हार कर दो चलेगा न कोई बहाना तुम्हारा शबे-ग़म का मातम न लब पे शिकायत मिज़ाजे-मुहब्बत…
आदरणीया अंशु विनोद गुप्ता जी की ग़ज़ल – सरकार देख लो :- ग़ज़ल – सरकार देख लो होठों पे चुप लगाए है सरकार देख लो। चारों तरफ़ है आग की भरमार देख लो। कुछ लोग छोड़ आए हैं फूलों की घाटियाँ, केसर के बाग़ अब भी हैं गुलज़ार देख लो।…