विरह वेदना पर कविता – आदरणीय मित्रों ! हमारे अन्तर्मन में जब भी कोई पीड़ा पलने लगती है , तो उसी प्रसव वेदना से कविता का प्रादुर्भाव होने लगता है । प्रस्तुत रचना में कुछ इन्हीं भाव स्थलों का चित्रण किया गया है ।
विरह वेदना पर कविता
जब जब अन्तर्मन में कोई प्रसव की पीड़ा पलती है ।
तब तब कविता की धार प्रबल चल पड़ती है ।।
फूल खिलें हो उपवन में ।
भ्रमर मस्त हों गुन्जन् में ।।
पुलकन जो भर जाये मन में ।
स्पन्दन जो हो जाये तन में ।।
रंग बिरंगे पर फैलाये जब जब तितली उड़ती है ।
तब तब कविता की धार प्रबल चल पड़ती है ।।
जब जब अन्तर्मन में…… ।।1।।
रात चाँदनी आये जब ।
भूली याद सताये जब ।।
कोयल जब सुर में बोले ।
नस नस में विष सा घोले ।।
जब रग रग में विरही के विरह वेदना उठती है ।
तब तब कविता की धार प्रबल चल पड़ती है ।
जब जब अन्तर्मन में….. ।।2।।
गेहूँ की लटकी बाली हो ।
चहुँदिशि फैली हरियाली हो ।।
सरसों के पीले फूल खिले हों ।
पवन सुगंधित हिले मिले हों ।।
गन्धकोश से भर सुगन्ध जब मलय समीर निकलती है ।
तब तब कविता की धार प्रबल चल पड़ती है ।
जब जब अन्तर्मन में … ।।3।।
सावन की मस्त बहार हो ।
रिमझिम सी पड़ती फुहार हो ।।
घनघोर घटा भी हो छायी ।
हो यौवन की जो अँगडाई ।।
पिया मिलन की आस लिए विरही जब आहें भरती है ।
तब तब कविता की धार प्रबल चल पड़ती है ।
जब जब अन्तर्मन में …. ।।4।।
सरवर का निर्मल नीर जहाँ ।
चन्दन बन बहे समीर जहाँ ।।
प्रेम ज्योति की परम प्रभा हो ।
नव युगलों की लगी सभा हो ।।
क्रौन्च पक्षियों के अन्दर से जब जब आह निकलती है ।
तब तब कविता की धार प्रबल चल पड़ती है ।
जब जब अन्तर्मन में… ।।5।।
भादों की घनघोर निशा हो ।
काली काली चहुँओर दिशा हो ।
दादुर की ध्वनि लावारिस हो ।
जुगनूँ सँग रिमझिम बारिश हो ।।
पिया सेज पर पड़ी अकेली युवती जभी तड़पती है ।
तब तब कविता की धार प्रबल चल पड़ती है ।
जब जब अन्तर्मन में….. ।।6।।
जब जब अन्तर्मन में कोई प्रसव की पीड़ा पलती है ।
तब तब कविता की धार प्रबल चल पड़ती है ।।
पढ़िए :- हिंदी कविता विरह वेदना | Hindi Kavita Virah Vedna
रचनाकार का परिचय
नाम – रूद्र नाथ चौबे (“रूद्र”)
पिता- स्वर्गीय राम नयन चौबे
जन्म परिचय – 04-02-1964
जन्म स्थान— ग्राम – ददरा , पोस्ट- टीकपुर, ब्लॉक- तहबरपुर, तहसील- निजामाबाद , जनपद-आजमगढ़ , उत्तर प्रदेश (भारत) ।
शिक्षा – हाईस्कूल सन्-1981 , विषय – विज्ञान वर्ग , विद्यालय- राष्ट्रीय इंटर कालेज तहबरपुर , जनपद- आजमगढ़ ।
इंटर मीडिएट सन्- 1983 , विषय- विज्ञान वर्ग , विद्यालय – राष्ट्रीय इंटर कालेज तहबर पुर , जनपद- आजमगढ़।
स्नातक– सन् 1986 , विषय – अंग्रेजी , संस्कृत , सैन्य विज्ञान , विद्यालय – श्री शिवा डिग्री कालेज तेरहीं कप्तानगंज , आजमगढ़ , (पूर्वांचल विश्व विद्यालय जौनपुर ) उत्तर प्रदेश।
बी.एड — सन् — 1991 , पूर्वांचल विश्व विद्यालय जौनपुर , उत्तर प्रदेश (भारत)
साहित्य रत्न ( परास्नातक संस्कृत ) , हिन्दी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद , उत्तर प्रदेश
पेशा- अध्यापन , पद – सहायक अध्यापक
रुचि – आध्यात्मिक एवं सामाजिक गतिविधियाँ , हिन्दी साहित्य , हिन्दी काव्य रचना , हिन्दी निबन्ध लेखन , गायन कला इत्यादि ।
अबतक रचित खण्ड काव्य– ” प्रेम कलश ” और ” जय बजरंगबली “।
अबतक रचित रचनाएँ – ” भारत देश के रीति रिवाज , ” बचपन की यादें ” , “पिता ” , ” निशा सुन्दरी ” , ” मन में मधुमास आ गया (गीत) ” , ” भ्रमर और पुष्प ” , ” काल चक्र ” , ” व्यथा भारत की ” इत्यादि ।
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