आप पढ़ रहे हैं याद पर कविता :-
याद पर कविता
अचानक याद उसकी आई
नादान दिल घबरा गया
सावन में पवन का झोंका
दिन में मुझको डरा गया
ये हवा मजाक उड़ाती मेरा
कहती है क्या हुआ इस बार
कहां खो गए वह प्रेम के झूले
और रंग-बिरंगे फूलो के हार
मुझ जैसा था तुम्हारा प्यार
जो उड़ गया बनकर तितली।
ऐसे रूठ कर गयी वह फिर
राहों में दोबारा नहीं निकली।।
अपने नैनो से करके वार
जिसने तुम्हें कर दिया घायल।
आ जाओ मेरी बांहों में तुम
यादों से उसकी बाहर निकल।।
हम तुम दोनों बनकर मित्र
करेगे जग को हरा भरा।
नन्हा सा एक वृक्ष लगाकर
धरा का गात करेगे सुनहरा।।
अपने अतीत को भुला करके
लुप्त लेना मीठे फल का।
आज को तुम खुलकर जीना
यही मार्ग है सफल कल का।।
पढ़िए :- तुम याद बहुत आती हो कविता | Tum Yaad Bahut Aati Ho Kavita
नमस्कार प्रिय मित्रों,
मेरा नाम सूरज कुरैचया है और मैं उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के सिंहपुरा गांव का रहने वाला एक छोटा सा कवि हूँ। बचपन से ही मुझे कविताएं लिखने का शौक है तथा मैं अपनी सकारात्मक सोच के माध्यम से अपने देश और समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जिससे समाज में मेरी कविताओं के माध्यम से मेरे शब्दों के माध्यम से बदलाव आए।
क्योंकि मेरा मानना है आज तक दुनिया में जितने भी बदलाव आए हैं वह अच्छी सोच तथा विचारों के माध्यम से ही आए हैं अगर हमें कुछ बदलना है तो हमें अपने विचारों को अपने शब्दों को जरूर बदलना होगा तभी हम दुनिया में हो सब कुछ बदल सकते हैं जो बदलना चाहते हैं।
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