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Prernadayak Kavita In Hindi
प्रेरणादायक कविता इन हिंदी

Prernadayak Kavita In Hindi

रात भले विकट घनी हो
रश्मि का आभास न हो।
नाविक भी पार नहीं होता
गर उर में विश्वास न हो।।

अनंत विपत्तियां मानव का
साहस नहीं मिटा सकती।
पत्तों से मेहदी की लाली
तीव्र धूप नहीं हटा सकती।।

बारिश की नन्ही सी बूंदे
पत्थर में कर देती सुराग।
सूक्ष्म सी एक चिंगारी
जंगल में लगा देती आग।।

कभी हार नहीं स्वीकारना
संपूर्ण साहस लगा देना।
सोए हुए बाहुबली को तुम
आवाज देकर जगा लेना।।

योग्यता के आधार पर
भरना अम्बर में उड़ान।
हरा भरा कर देना तुम
उजड़ा हुआ रेगिस्तान।।

तू नील गगन का तारा है
अम्बर अधूरा है तेरे बिन।
जिज्ञासा को बना प्रबल
कामयाब होगा एक दिन।।

घर में छुपकर तू न बैठ
फोलाद बनकर निकल।
समय के अनुसार खुद को
बेहतर बनाकर तू बदल।।

तेरे परिश्रम से जीवन में
सफलता का बिखरेगा शोर।
हैरान न हो अरे मानव तू
एक रोज तेरा भी होगा दौर।।

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नमस्कार प्रिय मित्रों,

सूरज कुरैचया

मेरा नाम सूरज कुरैचया है और मैं उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के सिंहपुरा गांव का रहने वाला एक छोटा सा कवि हूँ। बचपन से ही मुझे कविताएं लिखने का शौक है तथा मैं अपनी सकारात्मक सोच के माध्यम से अपने देश और समाज और हिंदी के लिए कुछ करना चाहता हूँ। जिससे समाज में मेरी कविताओं के माध्यम से मेरे शब्दों के माध्यम से बदलाव आए।

क्योंकि मेरा मानना है आज तक दुनिया में जितने भी बदलाव आए हैं वह अच्छी सोच तथा विचारों के माध्यम से ही आए हैं अगर हमें कुछ बदलना है तो हमें अपने विचारों को अपने शब्दों को जरूर बदलना होगा तभी हम दुनिया में हो सब कुछ बदल सकते हैं जो बदलना चाहते हैं।

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