आप पढ़ रहे हैं ( Short Poem On Paryavaran In Hindi ) पर्यावरण पर छोटी कविता

पर्यावरण पर छोटी कविता

पर्यावरण पर छोटी कविता

तपता सूरज जलती अवनि,
समुद्र उगल रहा है आग।
जलवायु की मार से देखो
मुरझाये वन उपवन बाग।

हलचल करती व्याकुल हो
फटती कही ज्वालामुखी
पशु,पक्षी भटक रहे अब
देख धुआँ प्रदूषण आग।।

प्रकृति की सीमा कहाँ है
उसका अनन्त है विस्तार।
प्रकोपित जब होती है तब
छोड़े नही पृथ्वी का भाग।

अरे मनु जन्म लिया तो
धार लिया क्यो अब मौन
नित नित जंगल काटकर
मिटा रहा है सुखसुभाग।।

कूड़ा करकट मन्दिर मरघट
जल हवा ध्वनि प्रदूषण।
चौतरफा फैला गंदगी
जग जीवन किया ख़राब।।

विकृत कर पर्यायवरण
ढूँढ रहा सुख आराम
गर्मी का भोग दुष्परिणाम
गर्मी का अलाप न राग।।

उठ उठ चल समय शेष है
कुछ तो कर जतन मन
जीव जग विहँसे धरती
अब तो जगसुख जाग।
तपता सूरज जलती अवनि
समुद्र उगल रहा नित आग।।

पढ़िए :- प्रकृति पर छोटी कविता “ये है हाथों के हुनर की खुशहाली”


नाम -अमिता रवि दुबे
पति का नाम -रवि दुबे
शिक्षा- एम ए हिंदी 2 एमए समाजशास्त्र साहित्य रत्न
रुझान रचात्मक- लेखन संचालन, अभिनय वक्ता
विधा- गद्य पद्य दोनों, हिंदी छत्तीसगढी
आकाशवाणी रायपुर जगदलपुर दूरदर्शन से प्रसारण
प्रसारण देश अनेक पत्रपत्रिकाओं में
संस्थागत प्रकाशन-कार्यक्षेत्र समाज सेवा शिक्षा बाल पत्रकारिता पर्यायवरण आदि

सम्मान पुरस्कार- 1978 आकाशवाणी युवा कलाकार सम्मान

पर्यावरण पर छोटी कविता ” ( Short Poem On Paryavaran In Hindi ) के बारे में कृपया अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। जिससे रचनाकार का हौसला और सम्मान बढ़ाया जा सके और हमें उनकी और रचनाएँ पढ़ने का मौका मिले।

यदि आप भी रखते हैं लिखने का हुनर और चाहते हैं कि आपकी रचनाएँ हमारे ब्लॉग के जरिये लोगों तक पहुंचे तो लिख भेजिए अपनी रचनाएँ hindipyala@gmail.com पर या फिर हमारे व्हाट्सएप्प नंबर 9115672434 पर।

हम करेंगे आपकी प्रतिभाओं का सम्मान और देंगे आपको एक नया मंच।

धन्यवाद।

 

Leave a Reply