आज की हकीकत बयान करती और बिगड़े हालातों को सुधारने की उम्मीद में लिखी गई ( Waqt Par Kavita In Hindi ) वक्त पर कविता :-

वक्त पर कविता

वक्त पर कविता

ले चल आज फिर उन्ही पुरानी राहों पर ए वक्त
कुछ हासिल जिंदगी से, कुछ खोया मिलाना है।

व्यस्त, उलझी पड़ी जिंदगी से निजात पा कर
नए चेहरों को पुराना साफ आइना दिखाना है।

ख्वाहिशों के पीछे भागते मन को स्थिर कर के
प्यासे सूखे मूक गलों को आनंद रस पिलाना है।

झूठी शान शौकत का ताना बाना को छोड़ कर
मानवता और सादगी भरा एहसास दिलाना है।

प्रतिस्पर्धा से बनी आपसी मतभेद रख किनारा
अतीत के हवाले से, इंसान से इंसान मिलाना है।

मरू सुखी पड़ी है धरती बिन प्रेम भाईचारे से
वही प्रेम और भाईचारे को अतीत से सीखना है।

धर्म और जाति से लड़ते झगड़ते इंसानों को
अतीत के दंगों हादसों का अंजाम समझाना है।

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संदीप सिंधवालमैं संदीप सिंधवाल संजू पुत्र श्री तुंगडी सिंधवाल रौठिया रुद्रप्रयाग उत्तराखंड का निवासी हूं। मैंने हिंदी में दिल्ली विश्वविद्यालय से एम. ए. किया है तथा कलनरी आर्ट फूड साइंस में बी. एस. सी. किया है। 5 साल दिल्ली के एक होटल में शेफ की नौकरी करने के पश्चात मै 5 साल से ऑस्ट्रेलिया के समीप पोर्ट मोरस्बी में कार्यरत हूं। मेरा व्यवसाय मेरे लेखन से बिल्कुल विपरीत है।

विदेश में रहकर भी मैंने बहुत कविताएं लिखी हैं। मै सन 2000 से कविताएं लिखता हूं जो विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। मैट्रिक पास करने के बाद ही मेरी कविता रचना मै रुचि बढ़ी। भगवान रुद्र पर कविता लिखना मेरा सौभाग्य है। विदेशों में हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए भरसक प्रयास करता हूं।

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